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Noida News : दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण का असर नोएडा बड़ सेंचुरी में आने वाले प्रवासी पक्षियों पर भी पड़ रहा है। हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी नवंबर से मार्च तक भारत आते हैं, लेकिन इस बार वायु गुणवत्ता में गिरावट के कारण उनकी संख्या में कमी आई है। नोएडा की बर्ड सेंचुरी में अब प्रदूषण के कारण यहां आने वाले पक्षियों की संख्या कम हो रही है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से इंसान प्रदूषण का सामना कर रहे हैं, वैसे ही पक्षियों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
भारत के मैदानी इलाके एक आदर्श स्थल
वन्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रवासी पक्षी ठंडे मौसम में साइबेरिया, मंगोलिया, चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे क्षेत्रों से भारतीय उपमहाद्वीप में आते हैं। इन पक्षियों के लिए भारत के मैदानी इलाके एक आदर्श स्थल होते हैं। हालांकि, इस बार प्रदूषण के कारण पक्षियों की संख्या में कमी आई है। कहा कि प्रदूषण का प्रभाव सीधे तौर पर इन पक्षियों पर पड़ता है, क्योंकि जब प्रदूषण बढ़ता है तो उनके लिए भी वातावरण अनुकूल नहीं रहता।
प्रवासी पक्षियों पर भी पड़ रहा बढ़ते प्रदूषण का असर
नोएडा के बर्ड सेंचुरी में पक्षियों पर प्रदूषण का असर देखा जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि जिस तरह इंसान को प्रदूषण के कारण सांस लेने में परेशानी होती है और आंखों में जलन होती है, वही समस्या पक्षियों के लिए भी उत्पन्न हो रही है। प्रदूषण की वजह से पर्यावरण में बदलाव आ रहा है, जिससे विदेशी पक्षी यहां आने में हिचकिचा रहे हैं। यदि प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो भविष्य में इन पक्षियों का आगमन कम हो सकता है, जिसका असर स्थानीय इकोसिस्टम पर भी पड़ सकता है। नोएडा में तीन वेटलैंड बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिसमें यह प्रवासी पक्षी आवागमन करते हैं। प्रवासी पक्षी नवंबर महीने में आना शुरू कर देते हैं और मार्च तक वापस चले जाते हैं
आते हैं यह प्रवासी पक्षी
पेलिकन (Pelican), गोल्डन प्लोवर (Golden Plover), साइबेरियन क्रेन (Siberian Crane), कॉमन टील (Common Teal), रेड-वेग्ड लैपविंग (Red-wattled Lapwing), फ्लेमिंगो (Flamingo), बार-हेडेड गूज (Bar-headed Goose), पिनटेल डक (Pintail Duck), रेडशैंक (Redshank), ब्लैक-विंग्ड स्टिल्ट (Black-winged Stilt), मार्श हैरियर (Marsh Harrier)।