Tricity Today | निजी लॉन बनाने के लिए हरा भरा इलाका उजाड़ा
Noida News : नोएडा के सेक्टर-105 में पर्यावरण के प्रति गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां करीब 50 बंगलों के निवासियों ने निजी लॉन बनाने के लिए नोएडा प्राधिकरण द्वारा विकसित हरे-भरे क्षेत्र में 1000 पेड़ों को काट दिया है। ये पेड़ वर्षों की मेहनत और देखभाल से उगे थे, लेकिन अब इनकी जगह दीवारें खड़ी करके निजी लॉन बना दिए गए हैं।
रात के जलसों का अड्डा बन गए निजी लॉन
इन अवैध लॉनों में देर रात तक पार्टियां होती हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि क्षेत्र में शांति और व्यवस्था भी भंग हो रही है। पर्यावरणविद और स्थानीय निवासी इस पर गहरी चिंता जता रहे हैं।
नोएडा प्राधिकरण के बागवानी विभाग की लापरवाही
नोएडा प्राधिकरण के बागवानी विभाग की घोर लापरवाही की वजह से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। शिकायत मिलने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे ऐसे मामलों को बढ़ावा मिल रहा है। यदि इसे तत्काल नहीं रोका गया, तो अन्य लोग भी इसी तरह के अवैध निर्माण करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
एफआईआर और पुनर्वास की मांग
पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ ने इस गंभीर मामले पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस संबंध में बागवानी विभाग और जिला वन अधिकारी (DFO) को लिखित शिकायत दी है। उन्होंने मांग की है कि इन निजी लॉनों को तत्काल हटाया जाए, पेड़ों की दोबारा पौध लगाई जाए, और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए।
हरित नोएडा के लिए जरूरी कदम
इस घटना ने नोएडा के हरित क्षेत्र के महत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नोएडा प्राधिकरण और वन विभाग को इस तरह के अवैध कार्यों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो हरित क्षेत्र धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे, जिससे पर्यावरण और क्षेत्र के निवासियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
प्राधिकरण और वन विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग
नोएडा मीडिया क्लब के अध्यक्ष पंकज पराशर ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि यह घटना पर्यावरण के साथ अन्याय है। उन्होंने नोएडा प्राधिकरण और वन विभाग से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। नोएडा जैसे शहरी क्षेत्र में हरित पट्टी केवल सौंदर्य के लिए नहीं, बल्कि शहर के पर्यावरण संतुलन और शुद्ध हवा के लिए अनिवार्य है। इस प्रकार की घटनाओं से न केवल पर्यावरण, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों का स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा।