डिजिटल अरेस्ट
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
देशभर में जहां एक और टेक्नोलॉजी का चलन बढ़ा है, तो वहीं इसके साथ-साथ इसका दुरुपयोग कर साइबर ठगी के मामले भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अब तो इन साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट नाम से एक नया फर्जी कॉन्सेप्ट तैयार कर लिया है, जिसमें ये अपनी बातों में उलझा कर फोन पर बात कर रहे दूसरी तरफ के व्यक्ति को इतना भयभीत कर देते हैं कि वह फोन के सामने से खुद को हटा ही नहीं पाता है।
ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के खंडवा नगर स्थित नंदकुमार सिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्टाफ नर्स के साथ पेश आया, जिन्हें एक-दो नहीं बल्कि पूरे 21 घंटों तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया। उन्हें महाराष्ट्र क्राइम ब्रांच के नाम से फेक ऑडियो और वीडियो कॉल कर ड्रग्स की सप्लाई और तस्करी में नाम आने की धमकी दी गयी। जिसके बाद उन्हें कहीं भी आने जाने से मना करते हुए कमरे में बंधक बनाकर रखा गया। यहां तक कि नर्स को इस दौरान उठकर पानी पीने के लिए भी मोबाइल स्क्रीन के सामने से जाने नहीं दिया गया।
इस बीच उनके कमरे से बाहर न आने से मकान मालिक और परिचितों ने परेशान होकर दरवाजा ठोका, तो वे हिम्मत करके मोबाइल के सामने से उठीं और रोते हुए उन्हें पूरा घटनाक्रम बताया। जिसके बाद इस मामले की शिकायत एसपी ऑफिस की सायबर शाखा में की गई है और पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है। बता दें कि पहले भी अस्पताल में कार्यरत 5 डॉक्टर्स और 2 नर्स इस तह के मामलों की शिकायत खंडवा पुलिस से कर चुके हैं।
डिजिटल अरेस्ट से पहले इस तरह से डराया
अपने साथ हुई इस घटना को लेकर पीड़िता ने बताया कि शुक्रवार दोपहर करीब 1 बजे वे अपने कमरे में ही थी। इसी बीच उनके मोबाइल पर एक कॉल आया। उसने बातचीत के बाद 9348389952 नंबर से वीडियो कॉल किया। जिसमें उसने डराते हुए कहा कि आपके नाम से भेजा हुआ एक पार्सल ड्रग माफिया राजेश गोयल के नाम से जा रहा था, जिसे पुलिस ने जब्त किया है। उस पार्सल में एक लैपटाप, छह मोबाइल, चार आधार कार्ड, पांच पासपोर्ट सहित 150 ग्राम ड्रग्स बरामद हुआ है। इसलिए हमने आपको डिजिटल अरेस्ट किया हुआ है और अब आपके ऑनलाइन बयान दर्ज किए जाएंगे।
पुलिस की वर्दी पहन इस तरह किया डिजिटल अरेस्ट
पीड़िता ने बताया कि इतना सुनते ही वे काफी घबरा गईं थी। जिसका फायदा उठाकर वीडियो कॉल करने वाले शख्स ने उन्हें बताया कि अब आपसे हमारे अधिकारी डीएसपी राजेंद्र पाल राजपूत पूछताछ करेंगे। इसके फौरन बाद ही एक और नए नंबर 6026394817 से कॉल आया, जिसमें उसने कहा कि अब मेरे खिलाफ पुलिस कार्रवाई होगी और मैं अब मोबाइल के सामने से नहीं हट सकती। मुझे जो भी काम करना होगा वह सब वीडियो काल पर मोबाइल स्क्रीन के सामने ही करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि, अब में किसी से बात नहीं कर सकती और यदि इस बीच किसी का कॉल आये भी तो मुझे मोबाइल की स्क्रीन शेयर करना होगा। वे लोग महाराष्ट्र पुलिस की वर्दी में वीडियो कॉल पर बात कर रहे थे और उन्होंने मेरे नंबर पर डिजिटल अरेस्ट करने का वारंट भी डाला था।
21 घंटों तक रहीं मोबाइल के सामने डिजिटल अरेस्ट
यही नहीं, इसके साथ ही पीड़िता ने बताया कि इतने सब के बाद उन्होंने मुझसे पूछताछ शुरू की और मेरी बैंक डिटेल लेते हुए पूछा कि खाते में कितने पैसे हैं। इन सब पूछताछ के दौरान वे काफी डरी हुई थी। वे अपने मोबाइल के सामने से कॉल शुरू होने के बाद शुक्रवार दोपहर करीब 2 बजे से लेकर शनिवार सुबह करीब 11 बजे तक हटी ही नहीं। हालांकि इस दौरान उनके मकान मालिक का बेटा मकान के पीछे की खिड़की पर आया भी था, लेकिन वे डर के चलते उससे कुछ कह ही नहीं पाई। लेकिन जब इतनी देर तक वे कमरे से बाहर ही नहीं निकलीं तो सुबह दरवाजे पर उनके परिचितों ने किसी शंका के चलते जोर से दरवाजा ठोका, तब उन्होंने हिम्मत करके गेट खोला और उन्हें अपने साथ हुआ यह पूरा घटनाक्रम बताया। यही नहीं, इस पूरे 21 घँटों तक उन्होंने भोपाल में पदस्थ अपने पति से भी बात नहीं की।
पुलिस में नहीं है डिजिटल अरेस्ट का कॉन्सेप्ट
वहीं इस घटना के बाद खंडवा एसपी मनोज राय में बताया कि डिजिटल अरेस्ट जैसी पुलिस की कोई प्रक्रिया नहीं है। ऐसा कुछ होने पर शिकायत करें क्योंकि पुलिस कभी भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। इसे लेकर पुलिस में कोई कानून भी नहीं है। इस प्रकार से आने वाले फोन या वीडियो कॉल्स फ्रॉड रहते हैं।