बिलासपुर. जिले के मस्तूरी क्षेत्र में राखड़ की प्रदूषण ने स्थानीय लोगों के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दी है. क्षेत्र से गुजरने वाले सैकड़ों खुले वाहनों में राखड़ का परिवहन किया जा रहा है, जिससे सड़क पर राखड़ गिरने के साथ भारी धूल का गुबार उठता है. इससे ग्रामीणों के जीवन में अनेक समस्याएं पैदा हो गई है. स्थानीय लोगों को सांस संबंधी बीमारियों से लेकर आंखों में जलन, खुजली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही, सड़क पर उड़ती राखड़ के कारण पैदल राहगीरों, दोपहिया वाहन चालकों और साइकिल सवारों के लिए दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रदूषण के इस गंभीर मुद्दे पर प्रशासन से कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ. समस्या के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अब ग्रामीणों ने प्रशासन से राखड़ के बंद वाहनों में परिवहन की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे चक्का जाम जैसे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.
प्रदूषण से बढ़ती दुर्घटनाओं का खतरा
ग्रामीणों का कहना है कि जब वे सड़क पर चलते हैं, तो उड़ते हुए राखड़ के कारण उन्हें देखने समस्या होती है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है. जयरामनगर रेलवे फाटक पर ट्रैफिक रुकने के कारण एक बार में 40 से 50 वाहन जमा हो जाते हैं, जिससे राखड़ का गुबार और अधिक बढ़ जाता है. इस समस्या के कारण अब तक कई लोगों को गंभीर चोटें आई हैं, और कुछ मामलों में तो जान भी जा चुकी है.
स्वास्थ्य पर गहरा असर
स्थानीय निवासी अजय कुमार शर्मा के अनुसार, क्षेत्र में 500 से अधिक राखड़ से भरी गाड़ियां रोजाना चलती हैं, जो खुले में राखड़ लेकर परिवहन करती हैं. सड़क पर राखड़ के लगातार गिरने से वातावरण में उड़ती धूल से लोगों को सांस संबंधी समस्याएं, आंखों में जलन और खुजली जैसी बीमारियां हो रही हैं. इस समस्या के चलते कई लोगों को चश्मा पहनना पड़ रहा है.
समाधान की मांग, चक्का जाम की चेतावनी
मस्तूरी के ग्रामीणों ने समस्या के समाधान की मांग करते हुए एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही राखड़ का परिवहन बंद वाहनों में नहीं किया गया तो वे चक्का जाम करने पर मजबूर हो जाएंगे.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2024, 09:46 IST