अनूप पासवान/कोरबा: कोरबा जिला जेल में निरूद्ध बंदियों को अब मशरूम की खेती के गुर सिखाए जा रहे हैं, ताकि वे जेल से रिहाई के बाद अपराध की दुनिया को छोड़कर आत्मनिर्भर बन सकें. इस पहल का उद्देश्य बंदियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है. जेल प्रशासन की ओर से बंदियों को हरसंभव मदद दी जा रही है ताकि वे इस व्यवसाय को सीखकर आत्मनिर्भर बन सकें.
बंदियों के भविष्य को संवारने का प्रयास
जिला जेल प्रबंधन ने उन बंदियों के भविष्य को संवारने का बीड़ा उठाया है, जो जाने-अनजाने में अपराध के कारण जेल में निरूद्ध हैं. इसके लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के आरसेटी (RSETI) विंग की मदद ली गई है. आरसेटी विंग के सहयोग से बंदियों के लिए मशरूम की खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है. इस प्रशिक्षण में 35 बंदियों को चुना गया है, जिनमें दो कैदी भी शामिल हैं. प्रतिदिन आरसेटी विंग के कर्मचारी जेल पहुंचकर बंदियों को मशरूम की खेती और इसके लाभ के बारे में जानकारी देते हैं.
जेल अधीक्षक की पहल
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की पहल जेल अधीक्षक विजयानंद सिंह द्वारा की गई थी. ट्रेनिंग का नेतृत्व ट्रेनर जसवंत खुंटे कर रहे हैं, जो स्वयं जेल पहुंचकर बंदियों को प्रशिक्षित कर रहे हैं. पहले चरण में 35 बंदियों को 7 से 10 दिनों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस अवधि के दौरान बंदी मशरूम उत्पादन के सभी आवश्यक कौशल सीख जाएंगे.
आत्मनिर्भर बनने का अवसर
प्रशिक्षण के बाद, रिहाई के उपरांत बंदी मशरूम की खेती को व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकते हैं. यह प्रयास न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा, बल्कि अपराध से दूर रहकर समाज में सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर भी प्रदान करेगा. जिला जेल प्रबंधन और आरसेटी विंग की यह पहल बंदियों के पुनर्वास और उनकी सकारात्मक दिशा में उन्मुखीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.
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FIRST PUBLISHED : September 6, 2024, 22:13 IST