Sunday, September 8, 2024
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शौर्यगाथा के 25 वर्ष : भारत की सेना हिन्द का करती है जयगान, कारगिल की माटी पर बलिदान देने वाला हर वीर महान!

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New Delhi News : कारगिल विजय दिवस यानी वीरों की बलिदान और शौर्य गाथा। 1999 में पाकिस्तान के विरुद्ध भारत की जीत को याद रखने के लिए हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन बेहद मुश्किल और लंबे युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों की गई बहादुरी और बलिदान की याद दिलाता है। आज इसके 25 वर्ष पूरे हो गए। इसलिए इस साल कारगिल युद्ध में बहादुरी से लड़ने वाले साहसी भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए पूरे भारत में  कारगिल विजय दिवस मनाया जाएगा। 

किसी कवि ने ठीक ही लिखा है, कारगिल की माटी पर बलिदान देने वाला हर वीर महान हैं ,उनके बलिदानों के कारण ही हम और आप आज़ाद हैं। भारत के प्रधानमंत्री इस दिन इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं। पीएम मोदी आज इससे जुड़े कई कार्यक्रमों में भाग लेंगे।


घुसपैठ को “ऑपरेशन बद्री” नाम दिया

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के सैन्य बलों के बीच संघर्षों की एक लंबी फेहरिश्त रही। 1980 के दशक में कई सैन्य झड़पें होती रही। 1998-1999 की सर्दियों के दौरान, पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की एक टुकड़ी ने हमला किया। सेनाएं गुप्त रूप से पाकिस्तानी सैनिकों और अर्धसैनिक बलों को नियंत्रण रेखा (LOC) के भारतीय क्षेत्र में प्रशिक्षण दे रही थीं और सीमापार भेज रही थीं। इस घुसपैठ को “ऑपरेशन बद्री” नाम दिया गया था। पाकिस्तानी घुसपैठ का मकसद दोनों देशों के बीच संबंधों को खराब करना था। कश्मीर और लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से वापस बुलाना पड़ा, जिससे भारत को व्यापक कश्मीर विवाद के समाधान के लिए बातचीत करने पर मजबूर होना पड़ा। 

घुसपैठ के बाद ऑपरेशन विजय

शुरुआत में घुसपैठ के बारे में बहुत कम जानकारी थी। भारतीय सैनिकों ने मान लिया था कि घुसपैठिए जिहादी थे और घोषणा की कि वे कुछ दिनों के भीतर उन्हें बाहर निकाल देंगे। घुसपैठियों द्वारा अपनाई गई रणनीति में अंतर के कारण भारतीय सेना को एहसास हुआ कि पाकिस्तान की सेना पर्वत की ऊंची चोटियों पर कब्जा जमा चुकी है । भारत सरकार ने भारतीय सैनिकों के बल पर ऑपरेशन विजय लॉन्च किया। यह 26 जुलाई, 1999 को युद्ध आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया जिसमे पाकिस्तानी सेना को (LOC) रेखा पर सभी भारतीय चौकियों से पीछे हटना पड़ा। भारतीय सेना के 527 सैनिक इस युद्ध में शहीद हुए। भारत की पाकिस्तान पर जीत और शहीद भारतीय सैनिकों की याद में इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

माइनस 48 डिग्री तक भीषण सर्दी 

कारगिल शहर श्रीनगर से 205 किमी दूर है, यहां भीषण सर्दी होती है औेर तापमान अक्सर -48 डिग्री तक गिर जाता है। श्रीनगर को लेह से जोड़ने वाला एक भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग (NH 1) कारगिल से होकर गुजरता है। राजमार्ग के ऊपर की चोटियों पर सैन्य चौकियां आमतौर पर लगभग 16,000 फीट ऊंची है। कुछ 17,995 फीट तक ऊंची हैं।

सेनाओं ने मिलकर पाक को खदेड़ा

भारत में इस युद्ध को ऑपरेशन विजय के रूप में भी जाना जाता है, जो भारतीय सैन्य अभियान का कोड नाम था। भारतीय वायु सेना ने एलओसी के पास खाली भारतीय पदों से पाकिस्तानी सेना और अर्धसैनिक बलों को बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना के साथ संयुक्त रूप से कार्रवाई की, जिसे ऑपरेशन सफेद सागर के रूप में नामित किया गया था जिसमे भारतीय वायुशक्ति का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया था। 

पाक को हर मोर्चे पर घेर लिया था 

भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन तलवार के तहत सप्लाई मार्गों को काटने के लिए पाकिस्तानी बंदरगाहों (मुख्य रूप से कराची बंदरगाह) के समुद्री व्यापार को काटने की धमकी दी थी। इससे समुद्र आधारित तेल और व्यापार प्रवाह पर पाकिस्तान की निर्भरता का फायदा उठाया। बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने खुलासा किया कि अगर पूर्ण युद्ध छिड़ गया तो पाकिस्तान के पास खुद को चलाने के लिए सिर्फ छह दिन का ईंधन बचा है।

पूरी दुनिया में पाकिस्तान की किरकिरी

युद्ध भड़काने, अर्धसैनिक बलों और विद्रोहियों द्वारा एलओसी को पार करने पर दुनियाभर के देशों ने पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की। अमेरिका ने भी भारत का साथ दिया और पाकिस्तान की इस करतूत की कड़ी निंदा की। G-8 देशों ने भारत का समर्थन किया और कोलोन शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान की निंदा की। यूरोपीय संघ ने भी पाकिस्तान के एलओसी के उल्लंघन का विरोध किया। ASEAN जैसे अन्य संगठनों ने भी नियंत्रण रेखा की हिंसा पर भारत के रुख का समर्थन किया। 

इन जांबाजों को सलाम

परमवीर चक्र 

. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव 

. कैप्टन विक्रम बत्रा 

. राइफलमैन संजय कुमार 

. लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडेय 

महावीर चक्र 

. कैप्टन अनुज नय्यर 

. मेजर राजेश सिंह अधिकारी 

. कैप्टन गुरजिंदर सिंह पूरी 

. नायक दिगेंद्र कुमार 

. लेफ्टिनेंट बलवान सिंह 

. नायक इम्लियकुम 

. कैप्टन कैशिंग क्लिफोर्ड नोंग्रम 

. कैप्टन नैकेजहाकुओ कंगुरुसे 

. मेजर पद्मपानी आचार्य 

. मेजर सोनम वांगचुक 

. मेजर विवेक गुप्ता  

द्रास में बना कारगिल वॉर मेमोरियल 

कारगिल वॉर मेमोरियल द्रास में टोलोलिंग हिल की तलहटी में स्थापित किया गया। प्रसिद्ध हिंदी कवि माखनलाल चतुर्वेदी की एक कविता “पुष्प की अभिलाषा” स्मारक के प्रवेश द्वार पर अंकित है जो अतिथियों का स्वागत करती है। युद्ध में अपनी जान गंवाने वाले सैनिकों के नाम स्मारक की दीवार पर अंकित हैं। कारगिल युद्ध स्मारक से जुड़ा एक संग्रहालय भी निर्मित किया गया है।

 

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