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Noida News : भूमि अधिग्रहण मुआवजा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नोएडा प्राधिकरण किसानों को मुआवजा देने में कठिनाइयों का सामना कर रहा है। इस जटिल परिस्थिति का मूल कारण किसानों की भूमि पर अवैध अतिक्रमण है। इस मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को निर्धारित है, जहां प्राधिकरण को सभी किसानों को मुआवजा देने की स्थिति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। प्राधिकरण अब विधि विभाग से परामर्श कर अपना जवाब तैयार कर रहा है।
किसानों की भूमि पर अतिक्रमण
ये पूरा मामला नोएडा के गिझौड़ गांव से जुड़ा है। गिझौड़ गांव के 43 किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 214 रुपए प्रति वर्गमीटर नहीं बल्कि 306 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से मुआवजे की मांग की थी। न्यायालय ने किसानों के पक्ष में निर्णय सुनाया, परंतु प्राधिकरण द्वारा किए गए सत्यापन में कुछ किसानों की भूमि पर लगभग 2000 वर्गमीटर तक का अतिक्रमण पाया गया। प्राधिकरण का दृष्टिकोण है कि जब तक अवैध निर्माण नहीं हटाए जाते, मुआवजा नहीं दिया जा सकता। किसानों का आरोप है कि प्राधिकरण जानबूझकर मुआवजा देने में आनाकानी कर रहा है। वे दावा करते हैं कि उनकी आबादी 30 वर्षों से अधिक पुरानी है।
अतिक्रमण बना बाधा
इस विवाद के समाधान हेतु प्राधिकरण और किसानों के मध्य कई बैठकें आयोजित की गईं, परंतु अभी तक कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। प्राधिकरण ने अतिक्रमणकर्ताओं को 24 जुलाई तक अतिक्रमण हटाने का समय दिया था, लेकिन स्थिति जस का तस बनी हुई है। यह मामला अब और भी जटिल हो गया है क्योंकि संबंधित क्षेत्र आबादी बाहुल्य है, जहां अवैध निर्माण को हटाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है और कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्राधिकरण और किसान इस जटिल समस्या का कैसे समाधान निकालते हैं।