Wednesday, February 5, 2025
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MP News: मैपकॉस्ट में बड़ा घोटाला, जिस कंपनी से 27 लाख का काम कराया, वह पते पर मिली ही नहीं


मेपकॉस्ट में बड़ा फर्जीवाड़ा
– फोटो : अमर उजाला

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मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकॉस्ट) में बड़े स्तर का फर्जीवाड़ा सामने आया है। ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते’ कार्यक्रम के लिए पुरानी तिथि में फर्जी तरीके से कागजी टेंडर निकालने की खानापूर्ति की गई। इतना ही नहीं जिस कंपनी से काम कराया, वह अपने पते पर ही नहीं मिली। टेंडर स्वीकार करने और भुगतान के लिए बड़े स्तर पर नियमों को तोड़ा-मरोड़ा गया। दरअसल, भारत सरकार का ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते’ कार्यक्रम था। मैपकॉस्ट ने भोपाल, जबलपुर और इंदौर में इसका आयोजन 22 से 28 फरवरी 2022 तक किया। इसके टेंडर संबंधी नोटशीट के दस्तावेज में किए गए हस्ताक्षर में उल्लेखित तारीखों में कांट-छांट की गई। इन कार्यक्रमों के लिए 14 फरवरी को जारी दस्तावेज एक महीने बाद यानी 12 मार्च को पुरानी तारीख में तैयार किया गया।  इसकी नोटशीट पर मैपकॉस्ट के डीजी अनिल कोठारी समेत 11 अधिकारियों ने हस्ताक्षर किए थे। फर्जी तरीके से कागजी टेंडर निकालने की जल्दबाजी में नोटशीट पर किसी ने 14 फरवरी तो किसी ने 14 मार्च तारीख डाली है। यह भी साफ नहीं है कि टेंडर या निविदा विज्ञापन किस अखबार या माध्यम से जारी हुई। चार निविदाकारों ने अपने टेंडर कैसे जमा किए, इसकी जानकारी भी नहीं है। हड़बड़ी में एक इटारसी की एजेंसी को भोपाल की एजेंसी बता दिया गया और इसका अनुमोदन भी कर दिया गया। अब इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और लोकायुक्त संगठन को की गई है। 

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काम कराया ‘रमेश’ से, पेमेंट ‘सुरेश’ को?

शिकायत में दावा किया गया है कि ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते’ कार्यक्रम का काम तुषार इंटरप्राइजेस ने किया, जबकि कार्य आदेश रेवा इंटरप्राइजेस को दिया। 27 लाख के बिल भी रेवा इंटरप्राइजेस ने ही पेश किए थे। सामग्री का नाम बदलकर बिल प्रस्तुत किए गए। इस मामले में जब रेवा इंटरप्राइजेस के पते पर भुगतान स्वीकृति आदेश भेजे गए तो दो बार वो बैरंग लौट आए। यह कहकर कि संबंधित पते पर कोई रेवा इंटरप्राइजेस के नाम से कोई एजेंसी नहीं है। 

यह हुई गड़बड़ियां

भंडार कक्ष के अधिकारी ने कार्य आदेश के अनुसार फ्रेम से संबंधित सामग्री की प्रविष्टि की, लेकिन स्टैंडी के नाम पर प्रदर्शनी के बिल लगाए गए। इस पर आपत्ति लेते हुए उसके द्वारा इसकी कोई एंट्री भी नहीं की है। ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते’ कार्यक्रम के लिए पहले 27 लाख के बिल लगाए गए। इस पर वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक की टीप के आधार पर ही 16 लाख की कटौती कर दी गई। ऑडिट टीम ने भी अनियमितताओं की अनदेखी की। पहले 16 लाख रुपये के भुगतान की अनुशंसा की गई। मुख्य वैज्ञानिक और कार्यक्रम के प्रदेश संयोजक राकेश आर्या ने अकाउंट्स के अनुमोदन पर आपत्ति लगाई। कार्य आदेश के अनुसार भुगतान पर फिर से ऑडिट करने की टीप दी। जिस पर फिर बिल में चार लाख रुपये की कटौती की गई। इसके बाद 27 लाख की जगह फर्म को करीब 11 लाख रुपये का भुगतान किया गया। 

डीजी का पक्ष 

मैपकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि डॉ. नरेंद्र शिवहरे को नौ लाख रुपए के बिल लगाने पर वित्तीय अनुमति की जानकारी मांगी तो उन्होंने मुझ पर आरोप लगाने शुरू कर दिए। जो 27 लाख रुपये के बिल की बात हो रही है, उसमें 14 अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। बिल में कटौती सप्लाई के बाद वैरिफिकेशन के आधार पर हुई। मुझे पर लगाए आरोप झूठ हैं। 

शिवहरे का पक्ष 

शिकायत वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र शिवहरे ने की है। शिवहरे ने कहा कि नौ लाख रुपये प्रस्तुत बिलों का खर्च डीजी के अनुमोदन के अनुसार क्षेत्रीय विस्तार केंद्र प्रभारी जबलपुर के डॉ. निपुन सिलावट ने प्रस्तुत किए हैं। मैंने 27 लाख के फर्जी बिलों पर आपत्ति ली तो मुझे इनाम के बजाय पहले नोटिस थमाया। फिर निलंबित कर दिया। मेरे सबूतों की निष्पक्ष जांच की जाए और मुझ पर लगाए गए आरोप निराधार और झूठे हैं।

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