जांजगीर चांपा:- छत्तीसगढ़ में कई किसानों ने धान की रोपाई पूरी कर ली है, लेकिन कुछ किसान अभी भी इस प्रक्रिया में लगे हुए हैं या किसी कारणवश रोपाई नहीं कर पाए हैं. ऐसे में डीएसआर (डायरेक्ट सीडेड राइस) या लेही पद्धति एक बेहतर विकल्प हो सकती है. जिसे छत्तीसगढ़ में लेही पद्धति कहते है. इस तरीके ले आप खेती कर सकते है. जानिए इस विधि से कैसे खेती कर सकते है, इसके बारे में कृषि आधिकारी ने क्या बताया है.
इस संबंध में जिला कृषि विभाग के उपसंचालक अधिकारी आरएन गांगे ने बताया कि जांजगीर चांपा जिले में इस साल वर्षा थोड़ा लेट में होने कारण किसानों का खुर्रा बोनी लेट हो गया है, जिसके कारण नहर में पानी आने पर लेही पद्धति से किसान खेती कर रहे हैं, लेही पद्धति मतलब किसना बीज को दो दिन के लिए खेत के पानी में डूबो देता है और तीसरे दिन उस बीज को खेत में छिड़क देता है.
कम लागत में ज्यादा होगा मुनाफा
जांजगीर चांपा जिला क्षेत्र में 80% किसान लेही पद्धति से खेती करते है और 20% किसान खुर्रा पद्धति से खेती करते हैं, और बताया की जांजगीर चांपा जिले में 1 लाख 50 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की जाती हैं और ज्यादातर किसान रोपा के बदले लेही पद्धति से किसान खेती करते है, इस लेही पद्धति से किसानी को कम लागत में ज्यादा मुनाफा होता हैं, क्योंकि इसमें लेबर की जरूरत नहीं होती है और इस लेही पद्धति में किसान स्वयं से जोताई और बोआई करके खुद से बोते हैं उसमे किसानों को ज्यादा लाभ होता है.
फसल बीमा करवाने के लिए किसानों से की अपील
उप संचालक आर.एन.गांगे ने सभी किसानों से अपील की है कि जांजगीर चांपा जिले प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत बीमा करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई तक है, इस योजना में किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से फसलों के होने वाले नुकसान की बीमा के रूप में मदद मिलती है.
इस योजना का लाभ लेने लिए किसानों को आधार कार्ड की फोटो कॉपी, नवीनतम भूमि प्रमाण-पत्र (बी-1, खसरा) की कॉपी, बैंक पासबुक के पहले पन्ने की कॉपी जिसपर अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड लिखा हो. इसके साथ ही किसान को फसल बोवाई प्रमाण पत्र या स्वघोषणा पत्र देना होगा. और बताया की सभी ग्रामों में शिविर लगाकर जिसमे किसान पहुंच कर फसल बीमा करा रहे है.
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FIRST PUBLISHED : July 25, 2024, 19:24 IST