रायपुर – छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है. प्रदेश के 80 प्रतिशत भाग में धान की खेती की जाती है. मानसून के दस्तक के बाद से किसान खेती किसानी काम में व्यक्त हैं, लेकिन बारिश की आंख मिचौली की वजह से किसानों में संशय की स्थिति बनी हुई. संशय इसलिए कि बरसात के कई दिन निकल गए हैं ऐसे में जो किसान धान की बुवाई नहीं किए हैं उन्हें क्या करना चाहिए.
इसके अलावा किसान किन धान की किस्मों की खेती करें की उन्हें ज्यादा पैदावार प्राप्त हो. आज हम आपको धान की कुछ विशेष किस्मों के बारे में बताने वाले हैं जो कम दिनों में पककर तैयार हो जाती है. अगर किसान कम बारिश होने की वजह खेती किसानी में पिछड़ गए हैं तो वे इन धान की किस्मों की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के डायरेक्टर डॉ. विवेक त्रिपाठी ने बताया कि कम बारिश होने की वजह से किसान खेती किसानी में पिछड़ रहे हैं ऐसे में किसानों को 125 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाने वाली धान की प्रजाति का इस्तेमाल करना चाहिए. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से कुछ धान की किस्में विकसित की गई है जिसमें छत्तीसगढ़ धान 19, MTU 1001, MTU 1010 धान की वैरायटी है.
ऐसी वैरायटी का उपयोग करने से 125 से 130 दिनों में ही धान की फसल पककर तैयार हो जाती है. एक एकड़ खेत में सीधी बोआई के लिए लगभग 20 किलो ग्राम सीड्स का उपयोग करना चाहिए. यदि देरी से रोपाई कर रहे हैं तो ध्यान रखें एक हिल में 4 से 5 पौधे लगाना चाहिए. ऐसे ही किसान धान के खेत में सही पौध संख्या को मेंटेन कर सकते हैं.
किसानों को एक एकड़ में 40 किलो नाइट्रोजन, लगभग 24 किलो फास्फोरस और लगभग 12 से 15 किलो पोटाश का उपयोग करना चाहिए. फास्पोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय देना चाहिए. नाइट्रोजन की मात्रा जिसे किसान यूरिया के रूप में डालते हैं.
नाइट्रोजन को डीएपी, कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइजर के रूप में भी डाला जाता है. इसे तीन भागों में बांटकर एक भाग बुवाई करते समय डालना चाहिए, दूसरा भाग यानी एक तिहाई भाग 35 से 40 दिन बाद डालना चाहिए फिर तीसरा भाग फिर 30 से 35 दिन बाद डालना चाहिए. इस विधि से खेती करने पर अच्छी फसल आती है.
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FIRST PUBLISHED : July 23, 2024, 23:28 IST