जांजगीर चांपा : सावन महीने के पावन पर्व शुरू हो गया है इस महीने में भगवान शिव जी के मंदिरों में भक्तो की दर्शन करने जाने वालों की संख्या बढ़ जाती है. इसके साथ ही सावन महीने के हर सोमवार को सभी शिवालयों में भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिलती है वही आज हम आपको एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बता रहे हैं जहां प्राकृतिक भी निरंतर भगवान शिव जी को जल अर्पित करते रहती है, इस प्रसिद्ध मंदिर का नाम तुर्रीधाम हैं.
यह मंदिर शिवभक्तों के लिए अत्यंत ही पूजनीय है, यहां श्रद्धालु बारहों मास आते हैं लेकिन महाशिवरात्रि और सावन महिने में अधिक संख्या में शिव भक्त अपनी मनोकामना लेकर तुर्रीधाम पहुंचते है. स्थानीय दृष्टिकोण से यहां उपस्थित शिवलिंग, प्रमुख ज्योतिर्लिंगों के समान ही वंदनीय और पूजनीय है.
यह प्रसिद्ध तुर्रीधाम चांपा से सिवनी होते हुए सक्ती मार्ग पर सक्ती जिला मुख्यालय से 12 कि.मी. की दूरी पर बासीन ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है. यहां सावन मास में शिव भक्तों संख्या हजारों में होती है. मंदिर के निर्माण के बारे में पंडित गौतम पुरी गोस्वामी ने बताया की इसका निर्माण स्थानीय राजा सक्ती के पूर्वजों द्वारा कराया गया था, परंतु यह किस राजा के शासन में निर्मित हुआ यह अज्ञात है. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 3-4 पीढ़ियों से किया जा रह है. बताया की इस तुर्रीधाम मंदिर का स्थापत्य अनोखा है.
इसके चारों ओर मंडप बनाया गया है. वही गर्भगृह मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार से 8 फिट की गहराई पर है, गर्भगृह जाने के लिए नीचे की ओर होती हुई सीढ़ी बनी हुई है. यहां शिवलिंग पूर्वाभिमुख है. इस तुर्रीधाम शिव जी की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके गर्भगृह में एक प्राकृतिक जलस्त्रोत जो निरंतर शिवलिंग पर गिरते रहता है.
इस जलस्रोत की खासियत है कि इसकी गति अलग अलग मौसम में धीमी एवं गति तेज हो जाती है. लेकिन यह जलस्रोत आजतक बंद नहीं हुआ हैं, और इसी जलस्रोत के निरंतर गिरने के कारण यहां का नाम तुर्रीधाम पड़ा है, क्योंकि स्थानीय भाषा में तुर्री (निरंतर)कहते है, यह जल स्त्रोत अनादि काल से अनवरत बहता हुआ आ रहा है,जहां से जलाभिषेक हो रहा है वहां दीवाल पर योनि आकार का बना हुआ है, साथ ही यह जल कहा से आ रहा है आज भी रहस्य है, इसका भू वैज्ञानिक भी पता नहीं लगा पाए.
इस जल पुंज को स्थानीय लोग गंगाजल के समान ही पवित्र एवं औषधीय गुणों से भरपूर मान कर बोतलों में भरकर अपने घर लेकर जाते है, मान्यता है कि अस्वस्थ होने पर इस जल को पिलाने से अत्यंत ही लाभ मिलता है. और बताया की मंदिर के गर्भ गृह में शिवलिंग के निकट ही नंदी पश्चिम की ओर मुख किए विराजमान है.इस प्राचीन नंदी की खंडित प्रतिमा को ग्रामीण गज समझते है, वही दूसरा नंदी मंदिर के शिवलिंग के सम्मुख जलधारा घाट के समीप जीर्णोद्धार के समय बनाया गया.
गर्भ गृह में अन्य देवी देवता भी विराजमान है, शिवालय से टीले की ओर रामजानकी जी मंदिर, देवी दुर्गा जी मंदिर, हनुमान जी का मंदिर जैसे दर्जनों मंदिर तुर्रीधाम में विद्यमान है. इस प्रसिद्ध जगह में सावन माह में 1 माह का मेला लगता है. यहां दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के अलावा पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, उड़ीसा महाराष्ट्र, झारखंड एवं अन्य राज्य से भी श्रद्धालु आते है.
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FIRST PUBLISHED : July 21, 2024, 17:20 IST