रामकुमार नायक/रायपुरः सनातन धर्म में पंचमी का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा कर बसंत पंचमी मनाई जाती है. इसे कई जगह सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है. इस साल बसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा.राजधानी रायपुर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि छह प्रकार के ऋतु होते हैं उनमें से यह समय बसंत ऋतु का है. माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस दिन विद्या की देवी माता सरस्वती का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है. बहुत से स्थान पर इस दिन गुरुकुल में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाकर विद्या आरंभ कराया जाता है.
राजधानी रायपुर के प्राचीन महामाया मंदिर में आसपास के परिवार वाले अपने बच्चों को लेकर के आते हैं. यहां माता सरस्वती की मंत्रोच्चार के साथ पूजा करते है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में इस दिन एक जगह पर ढांड बनाने की पूजा होती है. उसी जगह पर ही उस दिन से होली जलाने के लिए लकड़ी इकट्ठा किया जाता है. ऐसी बहुत सारी परंपरा है जो बसंत पंचमी के दिन मनाई जाती है. सरस्वती माता की पूजा करने के लिए मंत्र सप्तशती और ग्रंथो में वर्णित है. बसंत पंचमी स्कूलों में भी मनाई जाती है. बड़े- बड़े मंदिरों में भगवती दुर्गा जी की महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में पूजा की जाती है.
इन मंत्रों का करें जाप
पंडित मनोज शुक्ला ने आगे बताया किमाता सरस्वती की पूजा करने के लिए सबसे सरल मंत्र \” या कुन्देन्दुतुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता \” है. इसके अलावा दुर्गा सप्तशती में घण्टा शूल हलानी देवी दुष्ट भाव विनाशिनी जैसे मंत्र हैं. इन मेट्रो के उच्चारण के साथ माता सरस्वती की पूजा अर्चना करने से शुभ फल मिलता है.
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FIRST PUBLISHED : February 6, 2024, 16:43 IST
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