राजनांदगांव: शहर के रियासत कालीन गणेश मंदिर, जो वर्तमान में शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय परिसर में स्थित है, अपने आप में एक अद्वितीय धरोहर है. यह मंदिर पहले महंत राजा दिग्विजय दास और अन्य राजाओं का महल हुआ करता था. इस ऐतिहासिक मंदिर में गणेश जी की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है, जिसके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं. मंदिर की खास परंपरा है कि मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त चांदी का छत्र चढ़ाते हैं.
राजनांदगांव के इस गणेश मंदिर की स्थापना लगभग 168 साल पहले महंत राजा दिग्विजय दास के पूर्वजों द्वारा की गई थी. मंदिर के पुजारी पंडित जितेंद्र कुमार झा के अनुसार, यहां विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है. भक्तों की हर मनोकामना गणेश जी की कृपा से पूरी होती है, और यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन के लिए आते हैं.
शादी का पहला निमंत्रण भगवान गणेश को दिया जाता है
यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार, शादी का पहला निमंत्रण भगवान गणेश को देना एक पुरानी परंपरा है. हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है, इसलिए स्थानीय लोग अपने वैवाहिक समारोह का पहला निमंत्रण गणेश जी को अर्पित करते हैं. इसके बाद ही अन्य लोगों को निमंत्रण दिया जाता है.
मनोकामना पूर्ण होने पर चढ़ाई जाती है चांदी की छत्र
इस गणेश मंदिर में विशेष परंपरा है कि जब किसी भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है, तो वह भगवान गणेश को चांदी का छत्र चढ़ाता है. अब तक सैकड़ों की संख्या में चांदी के छत्र इस मंदिर में चढ़ाए जा चुके हैं. यह परंपरा भक्तों के विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक है.
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FIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 16:13 IST