जांजगीर चांपा: हर्ष सनातनी की यह यात्रा “अपना भारत, अपनी संस्कृति” न केवल एक अनूठी पहल है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति उनके गहरे समर्पण को दर्शाती है. आज के दौर में, जब युवा पीढ़ी फिल्मों, मॉडलिंग, और ग्लैमर की दुनिया में खोई हुई दिखती है, हर्ष ने भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए जो कदम उठाया है, वह प्रेरणादायक है.
हर्ष ने 380 दिन पहले हरियाणा से अपनी यात्रा की शुरुआत की और अब तक 27,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा पूरी करते हुए छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में पहुंचे हैं. उन्होंने राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और मध्य प्रदेश जैसे 10 राज्यों की यात्रा की है. पूरे सफर में वे पारंपरिक भारतीय परिधान धोती-कुर्ता पहनते हैं, जिससे उनके भारतीयता और सनातन धर्म के प्रति प्रेम का प्रतीक है.
हर्ष का मानना है कि भारतीय संस्कृति केवल रीति-रिवाजों का पालन करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का तरीका है. उनका यह प्रयास युवाओं को हमारी प्राचीन परंपराओं और अध्यात्म की ओर वापस लाने का है, ताकि वे जीवन में वास्तविक शांति पा सकें. उनका यह संदेश कि “शांति साधारण जीवन, साधारण कपड़े, और साधारण विचारों में मिलती है,” आज के तेजी से भागते युग में काफी प्रासंगिक है.
हर्ष ने यह भी कहा कि आज की पीढ़ी आध्यात्मिकता और सादगी से दूर हो गई है, और उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव से सीखा है कि शांति भौतिक चीज़ों में नहीं, बल्कि साधारण जीवनशैली और विचारों में मिलती है. उनकी यह यात्रा न केवल भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, बल्कि युवाओं को अपने जीवन में सादगी और आध्यात्मिकता को अपनाने की प्रेरणा भी देती है.
हर्ष का संदेश कि “सनातन धर्म को जातियों में बांटने के बजाय एकता में रहना चाहिए,” हमारी सामाजिक संरचना और एकता को मजबूत करने का आह्वान है. उनकी यह यात्रा निश्चित रूप से भारतीय समाज और युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनेगी.
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FIRST PUBLISHED : September 6, 2024, 23:35 IST