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Agriculture Tips: चने की फसल जिले में बड़ी संख्या में किसानों के द्वारा लगाई गई है. लेकिन अब चने की फसल में उकठा रोग का प्रकोप दिखाई दे रहा है, जिससे किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में इससे…और पढ़ें
चने की फसल
हाइलाइट्स
- चने की फसल में उकठा रोग का प्रकोप बढ़ा.
- रोग से बचाब के लिए पहले ही बीजों का उपचार और गहरी जुताई आवश्यक.
- ट्राइकोडर्मा पाउडर या कार्बेन्डाजिम का कर सकते हैं उपयोग
राजनांदगांव- चने की फसल जिले में बड़ी संख्या में किसानों के द्वारा लगाई गई है, लेकिन इसकी फसल में उकठा रोग का प्रकोप दिखाई दे रहा है, जिसकी वजह से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. फसल बर्बाद हो रही है. ऐसे में फसल में इस तरह के रोगों से बचाव के लिए कृषि विभाग के द्वारा किसानों के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं, जिनका प्रयोग करने से किसान फसल में इन रोगों के प्रकोप से अपनी फसल को बचा सकते हैं. चलिए जानते हैं इसके बारे में
आपको बता दें, कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में चना लगाया गया है. चने में कई प्रकार के कीटों का प्रकोप दिखाई दे रहा है, जिससे किसान परेशान नजर आ रहे हैं.
बुवाई के समय इन बातों का रखना चाहिए ध्यान
वहीं इसको लेकर राजनांदगांव जिले के कृषि विभाग के सहायक संचालक डॉक्टर बीरेंद्र अनंत ने लोकल 18 को बताया, कि चना हमारे दलहन के क्षेत्र में प्रमुख फसल है. चने में खासकर दो प्रकार की प्रमुख बीमारी देखने को मिलती है. एक बिल्ट बीमारी होती है और दूसरी कॉलर राट होती है. यह एक सफेद गलन होता है और दूसरा काली गलन होता है. जिसे आमतौर पर उकठा रोग कहा जाता है. यह दोनों बीमारी को कंट्रोल करना बहुत आवश्यक होता है. इसके लिए जिस समय बुवाई की जाती है,
उसी समय दो-तीन बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए. सबसे पहली बात यह है, कि बुवाई के पहले गहरी जुताई करना चाहिए. दूसरी बात इसमें बीजों का उपचार बहुत आवश्यक होता है. हमारी जो फंजी साइड हैं. उसका उपयोग किया जाना चाहिए. इसके साथ ही मिट्टी का उपचार भी किया जाना चाहिए, जिसमें गोबर की खाद व अन्य चीजों का उपचार किया जाना चाहिए. यह जमीन में जो फंगस रहता है उसको कंट्रोल करने के लिए बहुत आवश्यक होता है. वहीं चने में रसिस्टेंट वैरायटी का उपयोग करना चाहिए. आगे वे कहते हैं, कि इन सभी बातों का ध्यान चना बोने से पहले करना चाहिए. क्योंकि फसल परिवर्तन करना भी बहुत आवश्यक होता है.
रोग से बचाव के लिए इन दवाओं का कर सकते हैं उपयोग
चना में उकठा रोग की रोकथाम के लिए बीजों में ट्राइकोडर्मा पाउडर या कार्बेन्डाजिम जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है. बता दें, कि रोग के लक्षण दिखने पर, कार्बेन्डाजिम के घोल का छिड़काव किया जा सकता है, वहीं उकठा रोग के लक्षण दिखने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्लयू.पी. 0.2 प्रतिशत घोल का पौधों की जड़ में छिड़काव किया जा सकता है.
Rajnandgaon,Chhattisgarh
February 07, 2025, 16:56 IST