आज के समय में लोगों की लाइफस्टाइल ऐसी हो गई है कि कई तरह की बीमारियां उन्हें घेर लेती है. ना सिर्फ एडल्ट्स को, बल्कि इस लाइफस्टाइल का असर बच्चों के हेल्थ पर भी पड़ने लगा है. कुछ मामले तो ऐसे होते हैं, जिसे जानकर खुद डॉक्टर्स भी हैरान रह जाते हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल आंबेडकर में नवजात को ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई है.
नवजात को ल्यूकेमिया है. ये एक से दस साल के बच्चे में देखने को मिलता है. लेकिन नवजात में इस बीमारी को पहली बार देखा गया. जब डॉक्टर्स ने बच्चे की ब्लड रिपोर्ट देखी तो पहले उन्हें यकीन ही नहीं हुआ. लेकिन कन्फर्म हो जाने के बाद बच्चे को कैंसर विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया. अब बच्चे को कीमोथेरेपी और रेडिएशन दिया जा रहा है.
मां को हुआ था शक
जानकारी के मुताबिक़, बच्चे को दुर्ग से लाया गया है. बच्चे का जन्म दुर्ग के एक गांव में हुआ था. बच्चा जन्म के बाद से मां का दूध नहीं पी रहा था. इस बात से मां को थोड़ा अजीब लगा. उसने अपने पति को इसकी जानकारी दी. जब बच्चे का सीबीसी टेस्ट करवाया गया, तो देखा गया कि नवजात की बॉडी में एक लाख व्हाइट ब्लड सेल्स थे. जबकि एक नॉर्मल बच्चे के शरीर में इसकी संख्या बारह से अट्ठारह हजार होती है. बायोप्सी में भी कैंसर की पुष्टि हो गई. इसके बाद बच्चे का इलाज शुरू हुआ.
बेहद रेयर केस
नवजात में ल्यूकेमिया काफी रेयर है. अभी तक पूरी दुनिया में ऐसे मात्र दो ही केस देखने को मिले हैं. ल्यूकेमिया ज्यादातर एक से दस साल के बच्चे में देखने को मिलता है. सही से इलाज होने पर बच्चे की जान बच जाती है. डॉक्टर्स के मुताबिक़, बच्चे को अगर इंफेक्शन हो गया है या फिर वो मां का दूध नहीं पी पा रहा है, तो डॉक्टर्स से जरूर मिलें. ल्यूकेमिया के और भी कई लक्षण हैं. इसमें व्हाइट ब्लड सेल्स का बढ़ना, थकान रहना, खून की कमी और मुंह में छाले शामिल है.
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FIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 10:31 IST