श्रीनिवास नायडू, बस्तर. छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में एक खूनी सड़क भी है. यह सड़क अभी तक 15 लोगों की जान ले चुकी है. गांववाले इस सड़क को बनाने की मांग 30 साल से कर रहे हैं. लेकिन, किसी भी अधिकारी और नेता ने उनकी बात नहीं सुनी. अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें यही नहीं पता कि यह सड़क किस विभाग के अंतर्गत आती है. हालात, यह हैं कि गांववाले इस सड़क से गुजरने से भी डरते हैं. उनका कहना है कि आखिर हम जाएं तो जाएं कहां. हम घरबार छोड़कर कहीं और नहीं जा सकते.
बता दें, यह खूनी सड़क बस्तर जिले का बकावंड ब्लॉक की नलपावंड ग्राम पंचायत में है. बस्तर का यह इलाका नक्सल प्रभावित क्षेत्र नहीं है. यह नक्सल प्रभावित इलाका होता तो कहा जा सकता था कि नेताओं-अधिकारियों को विकास करने में परेशानी आ रही है. उसके बावजूद यहां नेता-अधिकारी विकास के मामले में लापरवाह रहे. यहां की सड़क पूरी तरह ऊबड़-खाबड़ है. गांव को जोड़ने वाली यह 7 किमी की सड़क तीस पहले बनाई गई थी. उसके बाद से अब तक इसकी ओर किसी जिम्मेदार ने झांका तक नहीं.
इतने साल से नहीं हो सका डामरीकरण
यह सड़क जगदलपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित है. हैरान करने वाली बात यह है कि किसी अधिकारी को नहीं पता कि यह सड़क किस विभाग के तहत आती है. इस सड़क का काम 1994 में शुरू किया गया. रेत और गिट्टी भी डाली गई. लेकिन, डामरीकरण आज तक नहीं हुआ. ग्रामीण इस सड़क को खूनी सड़क कहने लगे हैं. क्योंकि, यह सड़क अभी तक दो दर्जन से ज्यादा लोगों की जान ले चुकी है. गांववालों का कहना है कि यहां हादसे होना आम बात है. सड़क ऊबड़-खाबड़ है. इस वजह से गाड़ियां ठीक से नहीं चलतीं. चलती भी हैं तो इसका अंदाजा नहीं होता कि कब गिर जाएंगी.
FIRST PUBLISHED : December 20, 2024, 12:17 IST