Google Image | प्रतीकात्मक फोटो
Delhi News : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए लागू ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण के तहत लगाए गए प्रतिबंधों में किसी भी तरह की ढील देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब तक वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में लगातार सुधार नहीं होता, तब तक इन प्रतिबंधों को हटाया नहीं जाएगा। साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि 5 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई में दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के मुख्य सचिवों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने का आदेश दिया गया।
एजेंसियों में तालमेल की कमी पर जताई सख्त नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि मुख्य सचिवों को यह बताना होगा कि वायु प्रदूषण के कारण लागू किए गए प्रतिबंधों के कारण प्रभावित दिहाड़ी निर्माण श्रमिकों को भत्ते का भुगतान किया गया है या नहीं। इस दौरान पीठ ने दिल्ली की एजेंसियों में तालमेल की कमी पर सख्त नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस, नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण समिति के बीच कोई समन्वय नहीं दिख रहा है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो रही है।
5 दिसंबर का ए1क्यूआई का स्तर देखकर ही राहत का फैसला
पीठ ने कहा कि फिलहाल कोई राहत नहीं दी जाएगी और 5 दिसंबर को एक्यूआई का स्तर देखकर ही राहत देने का फैसला किया जाएगा। उस दिन कोर्ट यह निर्णय करेगा कि क्या प्रतिबंधों में ढील दी जाए या नहीं। इसके साथ ही पीठ ने दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश को नियंत्रित करने के लिए तैनात किए गए अधिकारियों की संख्या के बारे में भी सवाल उठाया। कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को निर्देश दिया कि वह इस मुद्दे पर अधिकारियों की टीम बनाए और प्रतिबंधों के उल्लंघन पर तत्काल कार्रवाई करे।
दिल्ली के सभी प्रवेश केंद्रों पर मानवयुक्त निगरानी के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को यह भी निर्देश दिया कि वह सभी विभागों के साथ समन्वय बना कर ग्रैप-4 के उपायों को लागू करे। पीठ ने यह कहा कि यह सीएक्यूएम की जिम्मेदारी है कि वह सभी पक्षों के बीच तालमेल सुनिश्चित करे और जहां भी प्रतिबंधों का उल्लंघन हो रहा हो, वहां संबंधित अधिकारियों के साथ तत्काल कदम उठाए। इसके अलावा कोर्ट ने दिल्ली के सभी प्रवेश केंद्रों पर मानवयुक्त निगरानी अनिवार्य करने का भी आदेश दिया।