Thursday, December 26, 2024
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छत्तीसगढ़ में यहां प्राचीन चिकित्सा पद्धति से तैयार हो रही दवा, नोट करें पता

बलौदा बाजारः छत्तीसगढ़ के गांव में आज भी जड़ी-बूटियों से बीमारियों का इलाज करना एक पुरानी परंपरा है. बलौदा बाजार जिले के बड़गांव में वैद्यराज शीतल सिंह बरिहा जड़ी-बूटियों से गंभीर बीमारियों का इलाज करते हैं. लकवा, शुगर, बवासीर जैसी बीमारियों से जूझ रहे सैकड़ों मरीज हर महीने उनके पास पहुंचते हैं. बिना किसी शुल्क के यह वैद्यराज मरीजों को ठीक करने का दावा करते हैं. छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं का अभाव आज भी देखा जा सकता है. अस्पताल गांवों से दूर हैं, ऐसे में लोग जड़ी-बूटियों के सहारे बीमारियों का इलाज कराते हैं. पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से कई गंभीर बीमारियां ठीक होने का दावा किया जाता है.

बलौदा बाजार जिले के पिथौरा से 13 किलोमीटर दूर बड़गांव में 80 वर्षीय वैद्यराज शीतल सिंह बरिहा ने जड़ी-बूटियों के जरिए इलाज की परंपरा को जीवित रखा है. वे लकवा, शुगर, बवासीर, गठिया, बाध, मलकंठ जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज करते हैं. उनकी प्रसिद्धि इतनी है कि प्रदेशभर से मरीज उनके पास पहुंचते हैं. वैद्यराज शीतल सिंह हर इलाज से पहले बुढ़ीमाई और सूर्यदेव की पूजा करते हैं. मरीज अपने साथ नारियल और अगरबत्ती लेकर आते हैं. वैद्यराज अपनी कुल देवी-देवताओं की पूजा के बाद जड़ी-बूटियों से दवा तैयार करते हैं. मरीजों को दवा खिलाने के साथ आगे के इलाज के लिए दवाएं भी दी जाती हैं.

बिना शुल्क, चढ़ावे से इलाज,ग्रामीणों की मदद और विश्वास
वैद्यराज मरीजों से इलाज के बदले में कोई फीस नहीं लेते. मरीज अपनी श्रद्धा से जो भी चढ़ावा देते हैं, उसे वे स्वीकार कर लेते हैं. उनका दावा है कि उनकी दवाओं से मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं.छत्तीसगढ़ के गांवों में आज भी लोग जड़ी-बूटियों के सहारे एक-दूसरे की मदद करते हैं. यह परंपरा न केवल पुरानी चिकित्सा पद्धति को जीवित रखे हुए है, बल्कि आधुनिक चिकित्सा से दूर ग्रामीणों के लिए एक उम्मीद भी है. बड़गांव के वैद्यराज शीतल सिंह इसका एक अनूठा उदाहरण हैं. उनकी दवाओं और पूजा-पद्धति से जुड़े मरीज कहते हैं कि उन्हें राहत मिली है.

परंपरा और चिकित्सा का संगम
वैद्यराज शीतल सिंह की जड़ी-बूटी पद्धति न केवल बीमारियों से राहत दिलाती है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत को भी संजोए हुए है. उनके पास पहुंचने वाली भीड़ इस बात की गवाह है कि उनकी चिकित्सा पद्धति पर लोगों का विश्वास बरकरार है.

Tags: Balodabazar news, Chhattisagrh news, Local18

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