Thursday, November 21, 2024
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नोएडा की सोसाइटी में आर्टिफिशियल रेन : लोगों ने भारी प्रदूषण से राहत के लिए खुद उठाया कदम, हॉज पाइप से की गई पानी की बौछार

Tricity Today | हॉज पाइप से किया पानी का छिड़काव




Noida News : नोएडा में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के चलते सोसाइटी निवासियों ने खुद ही इसकी रोकथाम के प्रयास शुरू कर दिए हैं। विभिन्न सेक्टरों की सोसाइटियों के लोग, आरडब्ल्यूए और अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (AOA) की देखरेख में अपने स्तर पर पानी का छिड़काव कर प्रदूषण के असर को कम करने की कोशिश कर रहे हैं।

सोसाइटी में कृत्रिम बारिश से धूल पर नियंत्रण

नोएडा के सेक्टर-100 की लोटस बुलेवर्ड सोसाइटी, सेक्टर-34 की आरडब्ल्यूए, सेक्टर-74 की कैपटाउन सोसाइटी और सेक्टर-168 की गोल्डन पाम सोसाइटी ने हॉज पाइप की मदद से सोसाइटी के अंदर और आसपास के क्षेत्रों में कृत्रिम बारिश की। यह छिड़काव विशेष रूप से सोसाइटी की छतों, सड़कों और कॉमन एरिया में किया गया, जिससे हवा में मौजूद धूल के कण जमीन पर बैठ गए। इसके चलते वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ और निवासियों को थोड़ी राहत मिली।

गोल्डन पाम सोसाइटी में कोशिश

सेक्टर-168 की गोल्डन पाम सोसाइटी के निवासियों ने भी पहल करते हुए हॉज पाइप का उपयोग करके पेड़ों और सड़कों पर जमी धूल को हटाने का प्रयास किया। उन्होंने सड़कों और कॉमन एरिया में जमकर पानी का छिड़काव किया, जिससे धूल कम हो गई और लोगों को सांस लेने में आसानी हुई।

नगर निगम और प्रशासन ने उठाए ये कदम

नोएडा में नगर निगम और स्थानीय प्रशासन भी प्रदूषण को कम करने के प्रयास कर रहा है। शहर में 5 स्प्रिंकल टैंकर की मदद से रोजाना 125 किमी लंबाई तक पानी का छिड़काव किया जा रहा है। नोएडा के सीईओ ने इस पानी के छिड़काव को और बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, शहर में 104 एंटी स्मॉग गन, 12 मैकेनिकल स्वीपिंग मशीन से सड़कों की सफाई का काम रोजाना हो रहा है।

बढ़ रहे सांस की तकलीफ के मरीज

बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण शहर के जिला अस्पताल में सांस की समस्याओं से ग्रसित मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। हर दिन अस्पताल के आपातकालीन विभाग में 8 से 10 मरीज सांस लेने में दिक्कत के कारण पहुंच रहे हैं। ओपीडी में भी 250 से अधिक मरीज सांस संबंधी समस्याओं के साथ इलाज के लिए आ रहे हैं। इसी तरह भंगेल सीएचसी और चाइल्ड पीजीआई में भी मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी गई है, हालांकि वायु प्रदूषण से सीधे प्रभावित मरीजों की संख्या अभी कम है।

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