Friday, October 18, 2024
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आज की बड़ी खबर : ईडी के सामने पेश हुए नोएडा के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह, हेसिंडा प्रोजेक्ट घोटाले में हुई पूछताछ

Tricity Today | मोहिंदर सिंह




Noida News : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की लखनऊ इकाई के सामने बुधवार को नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ व रिटायर्ड आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह पेश हुए। मोहिंदर सिंह पर नोएडा के हेसिंडा प्रोजेक्ट्स (एचपीपीएल) के प्रमोटरों और निदेशकों के साथ 6.36 अरब रुपये के घोटाले में शामिल होने का आरोप है। ईडी ने लखनऊ स्थित कार्यालय में मोहिंदर सिंह से लंबी पूछताछ की।

8 घंटे तक हुई पूछताछ 

ईडी के सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसी के अधिकारियों ने मोहिंदर सिंह से करीब 8 घंटे तक पूछताछ की। सूत्रों के मुताबिक एजेंसी ने अब तक कुछ दस्तावेजों की जांच की है, लेकिन अभी और जांच की जरूरत है। जरूरत पड़ने पर मोहिंदर सिंह को फिर से पूछताछ के लिए लखनऊ बुलाया जाएगा। बताते चलें कि ईडी की तरफ से 3 बार नोटिस जारी होने के बाद भी मोहिंदर सिंह ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। 16 अक्टूबर को ईडी के सामने पेश होने के लिए उन्हें चौथी बार नोटिस भेजा गया था।

हाईकाेर्ट के आदेश पर शुरू की थी जांच  

पिछले महीने ईडी ने नोएडा के हेसिंडा प्रोजेक्ट्स (एचपीपीएल) के प्रमोटरों और निदेशकों के मेरठ, नोएडा, गोवा, दिल्ली और चंडीगढ़ स्थित 12 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की थी। इस दौरान भारी मात्रा में हीरे, जेवरात और नगदी मिली थी। ईडी द्वारा यह जांच इलाहाबाद हाईकार्ट द्वारा 1 मार्च 2024 को जारी आदेश के आधार पर शुरू की गई थी।

ऐसे हुआ घोटाला 

साल 2010-11 में नोएडा अथॉरिटी ने ग्रुप हाउसिंग की स्कीम निकालकर सेक्टर 107 में कंपनियों के एक समूह को आवासीय प्रोजेक्ट के तहत ग्रुप हाउसिंग के लिए जमीन का आवंटन किया था। आवासीय प्रोजेक्ट का निर्माण करने के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल के रूप में हैसिंडा प्रोजेक्ट्स (एचपीपीएल) की स्थापना की गई थी। प्रमोटरों ने कथित तौर पर बिना किसी शुरुआती निवेश के प्राइम लोकेशन की इस जमीन पर प्रोजेक्ट लॉन्च किया और बार्य से करीब 636 करोड़ रुपये अपने पास जमा करा लिए। इस धनराशि में से प्रोमोटरों ने कथित तौर पर लगभग 190 करोड़ रुपये निकाल लिए। आवंटित जमीन का एक हिस्सा तीसरी कंपनी को बेच दिया गगया। 236 करोड़ रुपये की पूरी बिक्री आय अपने पास रख ली और नोएडा अथॉरिटी को जमीन की कीमत, प्रीमियम और लीज रेंट के लिए उस न्यूनतम राशि का भुगतान किया, जो आवंटन के समय और कुछ समय बाद दी जानी अनिवार्य थी। इसके बाद न तो नोएडा अथॉरिटी को कोई पैसा दिया गया, न ही बायर्स को उनके फ्लैट बनाकर दिए गए।

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