Friday, October 18, 2024
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Damoh News: सीजर ऑपरेशन के बाद चार प्रसूताओं की मौत में बड़ा खुलासा, एंटीबायोटिक इंजेक्शन निकला संक्रमित


दमोह जिला अस्पताल

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दमोह जिला अस्पताल में प्रसव के लिए किए गए सीजर ऑपरेशन में चार महिलाओं की मौत मामले की जांच रिपोर्ट सामने आई है। इसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ। इसमें एंटीबायोटिक इंजेक्शन संक्रमित निकला है।

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बता दें चार जुलाई को जिला अस्पताल में सीजन ऑपरेशन के बाद एक-एक करके चार महिलाओं की मौत होने के मामले में 9 दवाओं के जो सैंपल जांच के लिए सेंट्रल ड्रग्स लैब कोलकाता भेजे गए थे, उनमें से पांच की रिपोर्ट 100 दिन बाद आई और इनमें एक ड्रग्स (एंटीबायोटिक इंजेक्शन) पॉजिटिव निकला है। सीजर ऑपरेशन के बाद चारों महिलाओं को (सेफ ट्राय जोन) यह एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाया गया था। एक सप्ताह पहले रिपोर्ट आने के बाद पूरे प्रदेश के शासकीय अस्पतालों में इस अमानक इंजेक्शन को प्रतिबंधित किया गया है। इस मामले में गंभीर लापरवाही लघु उद्योग निगम और दवा कंपनियों की निकलकर सामने आई है। शासन जिस कंपनी से दवाओं की खरीदी करता है, उसके सैंपलों की जांच पहले की जाती है। उसके बाद सप्लाई होती है, लेकिन यहां पर इस नियम के पालन को लेकर सवाल खड़ा हो रहा है। अमानक एंटीबायोटिक इंजेक्शन की सप्लाई होती रही और महिलाओं को लगते रहे। एक सप्ताह पहले अधिकारियों के पास आई यह जांच रिपोर्ट भी छिपाई गई।

जिला ड्रग्स इंस्पेक्टर महिमा जैन ने बताया कि जिला अस्पताल में चार महिलाओं की मौत के बाद एक-एक करके 9 ऐसी दवाओं के सैंपल जांच के लिए कोलकाता भेजे गए थे, जो महिलाओं के ऑपरेशन के दौरान उपयोग में लाए गए थे। इनमें से पांच सैंपल की रिपोर्ट लैब से आ गई है। इनमें एंटीबायोटिक इंजेक्शन संक्रमित निकला है। इसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई है। यह दवा सभी जगह से हटाई गई है। इस इंजेक्शन का इस्तेमाल केवल शासकीय जिला अस्पतालों में होता था, जिसे अब पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अभी भी चार सैंपलों की जांच रिपोर्ट आना बाकी है।

दवा खरीदी का यह है नियम

शासन स्तर पर दवाओं की खरीदी से पहले उनके सैंपल की जांच कराई जाती है। रिपोर्ट सही मिलने पर सप्लाई होती है। यदि बीच में गड़बड़ी सामने आती है तो सप्लाई रोक दी जाती है। इसमें सैंपल की जांच का खर्च भी जिला लघु उद्योग निगम उठाता है। इससे पहले शासन सीधे दवाओं की खरीदी करता था, जिसमें गुणवत्ता पर सवाल नहीं उठते थे। अब जो जेनरिक दवाएं शासकीय अस्पतालों में बांटने के लिए आ रहीं हैं। उनकी गुणवत्ता, क्वालिटी व परफॉर्मेंस के बारे में कोई पता नहीं चलता है।

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